हनुमान जी के उपाय संकट दूर करने के लिए
प्रस्तावना
यह कलयुग का समय है, जब धर्म की हानि और अधर्म का बोलबाला बढ़ने लगता है, तब भक्तों के हृदय में शांति और विश्वास बनाए रखने के लिए किसी अलौकिक शक्ति का सहारा परम आवश्यक हो जाता है। ऐसे में पवनपुत्र हनुमान जी का स्मरण मात्र ही समस्त भय, संकट और बाधाओं को दूर करने वाला सिद्ध होता है। हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार हैं, जो अपनी असीम शक्ति, अटूट भक्ति और अद्वितीय सेवा भाव के लिए जाने जाते हैं। वे श्रीराम के परम भक्त, अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता हैं, जिनकी कृपा से कोई भी कार्य असंभव नहीं रहता। जब चारों ओर से निराशा घेर लेती है और कोई मार्ग नहीं सूझता, तब हनुमान जी के बताए गए उपाय और उनकी साधना ही आशा की किरण बनकर उभरती है। यह ब्लॉग आपको हनुमान जी के ऐसे ही चमत्कारी उपायों और साधना के विषय में विस्तृत जानकारी देगा, जिनके माध्यम से आप अपने जीवन के बड़े से बड़े संकटों को भी दूर कर सकते हैं और एक सुखमय, शांतिपूर्ण जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं। उनकी उपासना से न केवल शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त होता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है, जिससे व्यक्ति भयमुक्त होकर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। आइए, संकटमोचन हनुमान जी की शरण में आकर अपने जीवन को धन्य करें।
पावन कथा
त्रेतायुग की बात है। किष्किंधा के एक सुंदर पर्वत पर केसरी और अंजना नाम के वानर दंपति निवास करते थे। अंजना अत्यंत पतिव्रता और धर्मपरायण थीं, लेकिन उन्हें एक पुत्र की अभिलाषा थी। उन्होंने अनेकों वर्षों तक घोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे स्वयं उनके पुत्र रूप में अवतरित होंगे। एक दिन, वायुदेव भगवान शिव के अंशावतार को अंजना के गर्भ में स्थापित करने के निमित्त एक दिव्य ज्योति लेकर जा रहे थे। उसी समय, अंजना ने तपस्या भंग की और वायुदेव ने उस ज्योति को उनके गर्भ में स्थापित कर दिया। इस प्रकार, वायुदेव के माध्यम से अंजना के गर्भ में भगवान शिव का अंश स्थापित हुआ और एक महान तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ, जो हनुमान के नाम से प्रसिद्ध हुए। बचपन से ही हनुमान अत्यंत बलशाली और नटखट थे। एक बार, जब वे बाल्यकाल में थे, उन्होंने सूर्य को एक फल समझकर उसे खाने के लिए लंबी छलांग लगाई और आकाश में उड़ चले। इंद्रदेव ने हनुमान को रोकने के लिए अपने वज्र का प्रहार किया, जिससे वे मूर्छित हो गए। उनके पिता वायुदेव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने संसार से वायु का संचार रोक दिया, जिससे सभी प्राणी संकट में पड़ गए। तब देवताओं ने हनुमान को पुनः जीवनदान दिया और उन्हें अनेकों वरदान दिए, जिनमें से एक यह था कि कोई भी अस्त्र-शस्त्र उन्हें हानि नहीं पहुँचा सकेगा।
बड़े होने पर हनुमान जी ने किष्किंधा के राजा सुग्रीव की सेवा की। जब लंका के राक्षसराज रावण ने छल से प्रभु श्रीराम की पत्नी माता सीता का हरण कर लिया और श्रीराम अपनी पत्नी की खोज में भटकते हुए किष्किंधा पहुँचे, तब हनुमान जी ने ही सुग्रीव और श्रीराम का मिलन करवाया। श्रीराम ने सुग्रीव को राजा बनाया और सुग्रीव ने श्रीराम को अपनी वानर सेना के साथ माता सीता को खोजने का वचन दिया। हनुमान जी ने श्रीराम को अपना सर्वस्व मान लिया और उनके चरणों में स्वयं को समर्पित कर दिया।
माता सीता की खोज में जब वानर सेना दक्षिण सागर के तट पर पहुँची, तब विशाल समुद्र को लाँघने का संकट उपस्थित हुआ। कोई भी वानर इतनी दूरी तय करने में सक्षम नहीं था। जाम्बवंत जी ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया, जो उन्हें बचपन में मिले एक श्राप के कारण विस्मृत हो गई थीं। अपनी शक्तियों को स्मरण करते ही हनुमान जी का शरीर विशालकाय हो गया और वे एक ही छलांग में समुद्र को पार कर गए। लंका पहुँचकर उन्होंने अदृश्य रूप धारण कर पूरी लंका नगरी का चप्पा-चप्पा छान मारा। अंततः उन्होंने अशोक वाटिका में माता सीता को एक वृक्ष के नीचे विलाप करते हुए पाया। उन्होंने माता सीता को श्रीराम की मुद्रिका दी और उन्हें श्रीराम के कुशल-मंगल का समाचार सुनाया, जिससे माता सीता को अत्यंत मानसिक शांति मिली।
इसके उपरांत, रावण के सैनिकों द्वारा पकड़े जाने पर उन्होंने अपनी पूँछ में लगाई आग से पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया, जिससे लंका में हाहाकार मच गया। लंका दहन के बाद हनुमान जी सकुशल वापस आए और उन्होंने श्रीराम को माता सीता का पूरा समाचार सुनाया। उनकी इस अद्वितीय सेवा और शक्ति को देखकर श्रीराम अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने हनुमान जी को अपने हृदय से लगा लिया। यह कथा हनुमान जी के पराक्रम, उनकी अटूट भक्ति और संकटों को दूर करने की उनकी अद्भुत क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने न केवल स्वयं बड़े से बड़े संकटों का सामना किया, बल्कि श्रीराम के हर कार्य में आने वाली बाधाओं को भी अपनी शक्ति और बुद्धि से दूर किया। इसलिए, जो भी भक्त सच्चे मन से हनुमान जी का स्मरण करता है, उसके जीवन के सभी संकट पल भर में दूर हो जाते हैं।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
चौपाई
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बल बीरा।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
और संकट ते हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
पाठ करने की विधि
हनुमान जी के उपायों और पाठ को विधि-विधान से करने पर ही उनका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण विधियाँ दी गई हैं:
1. शुद्धता और पवित्रता: सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें। मन को शांत और पवित्र रखें।
2. स्थान का चुनाव: हनुमान जी की पूजा के लिए पवित्र स्थान का चुनाव करें। आप अपने घर के पूजा स्थान में या किसी हनुमान मंदिर में पूजा कर सकते हैं। पूजा करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है, क्योंकि हनुमान जी का वास दक्षिण दिशा में माना जाता है।
3. संकल्प: पूजा आरंभ करने से पूर्व हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर अपने संकटों को दूर करने और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का संकल्प लें।
4. दीप प्रज्ज्वलित करें: शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। यह दीपक पूजा के अंत तक जलता रहना चाहिए।
5. हनुमान जी का चित्र या मूर्ति: हनुमान जी के चित्र या मूर्ति को स्थापित करें। उन्हें सिंदूर और चमेली के तेल का चोला अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। लाल या नारंगी रंग के वस्त्र पहनाएँ।
6. पुष्प और प्रसाद: लाल रंग के पुष्प, जैसे गुड़हल या गेंदा, अर्पित करें। प्रसाद में बूंदी के लड्डू, गुड़-चना या बेसन के लड्डू विशेष रूप से प्रिय हैं।
7. मंत्र जाप: “ॐ हनु हनु हनुमते नमः” या “ॐ श्री हनुमते नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
8. हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम 7, 11, 21, 51 या 108 बार करें। संकटों से मुक्ति के लिए यह सबसे शक्तिशाली और सुगम उपाय है।
9. बजरंग बाण का पाठ: यदि आप किसी विशेष और गंभीर संकट से जूझ रहे हैं, तो बजरंग बाण का पाठ करें। इसका पाठ करते समय अत्यंत सावधानी और ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। इसे कम से कम 21 या 51 बार पढ़ा जा सकता है।
10. सुंदरकांड का पाठ: सुंदरकांड का पाठ हनुमान जी को अत्यंत प्रिय है। इसका नियमित पाठ करने से बड़े से बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
11. आरती: पाठ समाप्ति के बाद हनुमान जी की आरती करें और उनसे अपने संकटों को दूर करने और अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
12. प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और जरूरतमंदों में वितरित करें।
मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इन दिनों में इन उपायों को करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।
पाठ के लाभ
हनुमान जी के उपायों और उनके पाठ से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जो व्यक्ति के भौतिक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध बनाते हैं:
1. संकटों का नाश: सबसे प्रमुख लाभ यह है कि हनुमान जी के नाम का स्मरण और उनके पाठ से जीवन के बड़े से बड़े संकट, बाधाएँ और परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। वे अपने भक्तों के सभी दुखों और कष्टों का हरण करते हैं।
2. भय मुक्ति और साहस की प्राप्ति: हनुमान जी स्वयं परम वीर हैं। उनकी उपासना से व्यक्ति को मानसिक बल, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। भय, चिंता और नकारात्मकता दूर होती है।
3. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति: हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। महाबीर का नाम लेने मात्र से ऐसी शक्तियाँ पास नहीं आतीं।
4. शत्रुओं पर विजय: जो लोग शत्रुओं से पीड़ित हैं या किसी प्रकार की कानूनी समस्या में फँसे हैं, उन्हें हनुमान जी की उपासना से बल मिलता है और वे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं।
5. रोगों से मुक्ति: नियमित पाठ से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने वाला माना जाता है, अतः वे आरोग्य प्रदान करने में भी सक्षम हैं।
6. ग्रह दोषों का निवारण: जिन लोगों की कुंडली में मंगल, शनि या राहु-केतु जैसे ग्रहों के दुष्प्रभाव होते हैं, उन्हें हनुमान जी की पूजा से इन दोषों का निवारण होता है।
7. मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से की गई आराधना से हनुमान जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं, चाहे वे धन, संतान, विवाह या किसी अन्य भौतिक सुख से संबंधित हों।
8. ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि: हनुमान जी स्वयं परम ज्ञानी और बुद्धिमान हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को ज्ञान, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
9. मोक्ष की प्राप्ति: आध्यात्मिक स्तर पर, हनुमान जी की भक्ति मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करती है। वे भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं और उनकी सेवा से व्यक्ति भगवान के चरणों में स्थान प्राप्त करता है।
10. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: हनुमान जी का कवच सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नज़र से रक्षा करता है, जिससे व्यक्ति सुरक्षित रहता है और सकारात्मकता से भरा जीवन जीता है।
इन सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए श्रद्धा, विश्वास और नियमितता का होना अत्यंत आवश्यक है।
नियम और सावधानियाँ
हनुमान जी की पूजा और उनके उपायों को करते समय कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, तभी उनका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
1. पवित्रता और शुचिता: पूजा से पहले और पूजा के दौरान शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखना अनिवार्य है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन में किसी भी प्रकार का कुविचार या द्वेष न रखें।
2. ब्रह्मचर्य का पालन: विशेष रूप से बजरंग बाण का पाठ करने वाले साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मंगलवार और शनिवार के दिन इसका विशेष ध्यान रखें।
3. सात्विक भोजन: हनुमान जी की पूजा करने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। मांसाहार, प्याज और लहसुन का सेवन बिल्कुल न करें। मदिरापान या किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें।
4. सत्यनिष्ठा और ईमानदारी: हनुमान जी सत्य और धर्म के प्रतीक हैं। अपनी वाणी और कर्मों में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी बनाए रखें। किसी के प्रति ईर्ष्या, क्रोध या छल-कपट का भाव न रखें।
5. महिलाओं के लिए नियम: महिलाएँ हनुमान जी को चोला या सिंदूर अर्पित नहीं करतीं। वे दूर से ही हनुमान जी के दर्शन कर सकती हैं, उन्हें पुष्प अर्पित कर सकती हैं और हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं। मासिक धर्म के दौरान पूजा से बचें।
6. एक निश्चित स्थान पर पाठ: यदि आप किसी विशेष पाठ या मंत्र का जाप कर रहे हैं, तो उसे एक निश्चित समय पर और एक निश्चित स्थान पर ही करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
7. पूर्ण श्रद्धा और विश्वास: किसी भी उपाय को करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना सबसे महत्वपूर्ण है। बिना विश्वास के कोई भी उपाय फलदायी नहीं होता।
8. गुरु का मार्गदर्शन: यदि आप कोई कठिन साधना या बजरंग बाण जैसे शक्तिशाली पाठ कर रहे हैं, तो किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में करना अधिक उचित रहता है।
9. अहिंसा का पालन: हनुमान जी अहिंसा के प्रबल पक्षधर हैं। किसी भी जीव को कष्ट न पहुँचाएँ।
10. नियमितता: पूजा और पाठ में नियमितता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अनियमित साधना से पूर्ण फल नहीं मिलता।
इन नियमों का पालन करते हुए हनुमान जी की आराधना करने से निश्चित रूप से आपके सभी संकट दूर होंगे और जीवन में सुख-शांति आएगी।
निष्कर्ष
इस प्रकार, हमने देखा कि किस प्रकार पवनपुत्र हनुमान जी की भक्ति और उनके बताए गए उपाय हमारे जीवन के बड़े से बड़े संकटों को दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। उनकी पावन कथा हमें यह सिखाती है कि चाहे कितनी भी विकट परिस्थितियाँ क्यों न हों, अटूट श्रद्धा, साहस और निष्ठा से हर बाधा को पार किया जा सकता है। हनुमान जी केवल एक देवता ही नहीं, अपितु वे शक्ति, बुद्धि, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के साक्षात् प्रतीक हैं। उनके नाम का स्मरण, उनके चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ हमारे भीतर अदम्य साहस का संचार करता है, भय और निराशा को दूर भगाता है।
जब जीवन में चारों ओर से निराशा घेर ले, शत्रु प्रबल हों, स्वास्थ्य साथ न दे रहा हो या आर्थिक संकट गहरा जाए, तब संकटमोचन हनुमान जी की शरण में जाना ही एकमात्र सच्चा मार्ग है। उनकी कृपा से न केवल भौतिक समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि आत्मा को भी शांति और परम आनंद की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना करते समय नियमों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि भक्ति केवल भाव नहीं, अपितु अनुशासन भी है। सच्चे मन से किया गया एक छोटा सा प्रयास भी हनुमान जी की अपार कृपा का पात्र बना सकता है। आइए, अपने जीवन को हनुमान जी की भक्ति के रंग में रंगें और निर्भय होकर एक धर्मपूर्ण और सुखी जीवन व्यतीत करें। जय श्री राम, जय हनुमान!

