हनुमान जी के 108 नाम हिंदी अर्थ सहित
प्रस्तावना
सनातन संस्कृति में भगवान हनुमान अतुलनीय बल, प्रखर बुद्धि, अटूट भक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। वे रुद्रावतार, भगवान शिव के एकादश रुद्र का स्वरूप हैं, जिन्होंने त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सेवा के लिए अवतार लिया। हनुमान जी का स्मरण मात्र ही भक्तों के सभी कष्टों को हर लेता है और उन्हें भयमुक्त जीवन प्रदान करता है। उनके दिव्य स्वरूप में अनगिनत गुण समाहित हैं, और इन्हीं गुणों को दर्शाते हुए उन्हें विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। उनके प्रत्येक नाम में एक विशेष शक्ति और गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा हुआ है। हनुमान जी के 108 नामों का जाप करना न केवल उनकी महिमा का गुणगान है, बल्कि यह स्वयं को उनके गुणों से जोड़ने और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का एक माध्यम भी है। ये नाम हमें जीवन के संघर्षों में अडिग रहने की प्रेरणा देते हैं और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। आइए, आज हम बजरंगबली के इन पावन 108 नामों और उनके गहरे अर्थों को जानें, उनके स्मरण से अपने हृदय को शुद्ध करें और उनके चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करें। यह दिव्य पाठ आपके जीवन को ऊर्जा, साहस और आध्यात्मिक शांति से भर देगा।
पावन कथा
बहुत समय पहले की बात है, जब त्रेतायुग में धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। उसी समय, पृथ्वी पर वानरराज केसरी और माता अंजना के यहाँ एक अद्भुत बालक का जन्म हुआ, जो पवन देव के आशीर्वाद से उत्पन्न हुआ था। इस बालक का नाम हनुमान रखा गया, और वह अपनी अद्वितीय शक्ति, अदम्य साहस और प्रखर बुद्धि के लिए विख्यात हुआ। जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता की खोज में वन-वन भटक रहे थे, तब उनकी भेंट किष्किंधा में हनुमान जी से हुई। हनुमान जी ने पहली ही दृष्टि में श्रीराम के दिव्य स्वरूप को पहचान लिया और तुरंत उनकी सेवा में स्वयं को समर्पित कर दिया।
लंकापति रावण द्वारा माता सीता के हरण के उपरांत, श्रीराम की सेना में शोक का वातावरण था। समुद्र को पार कर लंका तक पहुँचने का दुष्कर कार्य केवल हनुमान जी ही कर सकते थे। उन्होंने विशाल समुद्र को एक छलांग में पार कर लिया, यह उनकी असीम शक्ति का प्रमाण था, जिसके कारण उन्हें ‘समुद्र लंघन’ और ‘अतुलित बल धामं’ जैसे नामों से पुकारा गया। लंका पहुँचकर उन्होंने अत्यंत सूक्ष्म रूप धारण कर लिया ताकि कोई उन्हें पहचान न सके, और माता सीता की खोज में अशोक वाटिका पहुँचे। माता सीता को दुखी देखकर उनका हृदय करुणा से भर गया। उन्होंने सीता माता को श्रीराम का संदेश सुनाया और उन्हें ढाँढस बँधाया। रावण के अहंकार को तोड़ने के लिए उन्होंने लंका को अपने विराट रूप से दहला दिया, जिसे देखकर राक्षस भयभीत हो गए। ‘लंका दहन’ करने के बाद वे वापस श्रीराम के पास पहुँचे और माता सीता का समाचार दिया।
युद्ध के दौरान, जब लक्ष्मण जी मेघनाद के शक्ति बाण से मूर्छित हो गए, तब उन्हें बचाने के लिए संजीवनी बूटी की आवश्यकता पड़ी। यह बूटी द्रोणागिरि पर्वत पर ही उपलब्ध थी, और सूर्योदय से पहले उसे लाना आवश्यक था। समय की कमी को देखते हुए, हनुमान जी ने बिना किसी विलंब के पूरा द्रोणागिरि पर्वत ही उठा लिया और उसे लेकर युद्धभूमि में वापस आ गए। उनके इस पराक्रम से लक्ष्मण जी के प्राण बच गए, और उन्हें ‘लक्ष्मण प्राणदाता’ तथा ‘महावीर’ जैसे नामों से सम्मान मिला। हनुमान जी ने अपने हर कार्य में निःस्वार्थ सेवा, अटूट भक्ति और परम पराक्रम का परिचय दिया। वे सदा श्रीराम के चरणों में लीन रहे और उनकी हर आज्ञा का पालन किया। उनकी भक्ति ऐसी थी कि उन्होंने अपने सीने को चीरकर श्रीराम और सीता जी के दर्शन भी कराए। उनके इन्हीं गुणों, वीरता, ज्ञान और भक्ति के कारण ही उन्हें अनेकों नामों से पुकारा जाता है, जिनमें से प्रत्येक नाम उनकी एक अनूठी विशेषता को प्रकट करता है। इन नामों का स्मरण करना स्वयं हनुमान जी के दिव्य गुणों को आत्मसात करने जैसा है।
दोहा
अतुलित बल धामं, पवनसुत ज्ञानिनामग्रेसरं।
संकट मोचन कृपा सिंधु, सदा राम के किंकरं॥
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केशा॥
हनुमान जी के 108 नाम हिंदी अर्थ सहित
1. हनुमान: जिसका मुख ठोड़ी की तरह हो, या जिसका मुख विदारित हो।
2. अंजनेय: माता अंजना के पुत्र।
3. वायुपुत्र: पवन देव के पुत्र।
4. महावीर: महान वीर।
5. बजरंगबली: वज्र के समान शक्तिशाली अंग वाला।
6. संकटमोचन: संकटों को दूर करने वाला।
7. मारुति: मारुत (वायु) के पुत्र।
8. रामदूत: भगवान राम के दूत।
9. अतुलितबलधामं: अतुलनीय बल के निवास स्थान।
10. ज्ञानिनामग्रेसरं: ज्ञानियों में अग्रगण्य।
11. केसरी नंदन: वानरराज केसरी के पुत्र।
12. कपिश्वर: वानरों के ईश्वर।
13. सुग्रीव मित्र: सुग्रीव के मित्र।
14. सीताशोकविनाशन: सीता के शोक को नष्ट करने वाला।
15. लक्ष्मण प्राणदाता: लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने वाला।
16. अमितविक्रम: असीमित पराक्रम वाला।
17. फल्गुण सखा: अर्जुन (फल्गुण) के मित्र।
18. रामप्रिय: भगवान राम को प्रिय।
19. उदाधि क्रमण: समुद्र को लांघने वाला।
20. सीतान्वेषक: सीता की खोज करने वाला।
21. सूक्ष्मरूपधर्त्रे: सूक्ष्म रूप धारण करने वाला।
22. विकटरूपधर्त्रे: विशाल रूप धारण करने वाला।
23. लंकाभयंकर: लंका को भयभीत करने वाला।
24. दग्धलंकाविभीषणाय: लंका को जलाने वाला।
25. अमृतसंजीवनी समाहर्ता: संजीवनी बूटी लाने वाला।
26. द्रोणगिरि हरण: द्रोणगिरि पर्वत को उठाने वाला।
27. वानराधिप: वानरों का राजा।
28. वज्रकाय: वज्र के समान शरीर वाला।
29. रुद्रावतार: भगवान शिव के रुद्र का अवतार।
30. भक्तांशुतोष: भक्तों को तुरंत संतुष्ट करने वाला।
31. शिव प्रिय: भगवान शिव को प्रिय।
32. रामसेव्य: भगवान राम द्वारा सेवित।
33. सुमति: अच्छी बुद्धि वाला।
34. नीतिज्ञ: नीति शास्त्र का ज्ञाता।
35. बलवान: बलशाली।
36. बुद्धिवान: बुद्धिमान।
37. ज्ञानवान: ज्ञानी।
38. जितेंद्रिय: इंद्रियों को जीतने वाला।
39. शांत: शांत स्वभाव वाला।
40. धीर: धैर्यवान।
41. वीर: साहसी।
42. गंभीर: गंभीर स्वभाव वाला।
43. निर्भय: निडर।
44. अखंड ब्रम्हचारी: अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला।
45. कपि श्रेष्ठ: वानरों में श्रेष्ठ।
46. राम भक्ति तत्पर: राम भक्ति में लीन रहने वाला।
47. आदिदेव: प्रथम देव।
48. अक्षय: कभी नष्ट न होने वाला।
49. अनादि: जिसका कोई आरंभ न हो।
50. अचिन्त्य: जिसका चिंतन न किया जा सके।
51. अमृत: अमर।
52. अद्वितीय: जिसके समान कोई दूसरा न हो।
53. अद्भुत: आश्चर्यजनक।
54. अपार: असीमित।
55. अविनाशी: जिसका विनाश न हो।
56. अतुल: जिसकी कोई तुलना न हो।
57. अजन्मा: जिसका जन्म न हुआ हो।
58. अज: जन्म रहित।
59. अमर: मृत्यु रहित।
60. अजेय: जिसे कोई जीत न सके।
61. अद्वय: एक, अद्वितीय।
62. अव्यय: जिसका क्षय न हो।
63. अव्यक्त: जो प्रकट न हो।
64. अरुज: रोग रहित।
65. अचल: स्थिर, न चलने वाला।
66. अटल: दृढ़, न डिगने वाला।
67. अनुत्तमात्मा: श्रेष्ठ आत्मा।
68. अप्रमेय: जिसे मापा न जा सके।
69. अशोका: शोक रहित।
70. अश्वत्थामा: जो अश्वत्थामा का वध करने वाला है (प्रायः भगवान विष्णु या शिव से जुड़ा नाम, हनुमान जी के संदर्भ में उनके चिरंजीवी होने का प्रतीक)।
71. अतिबलाय: अत्यधिक बलशाली।
72. अतुल्य: जिसकी तुलना न हो।
73. अव्यग्र: अशांत न होने वाला।
74. अविनश्वर: जिसका नाश न हो।
75. अविकारी: जिसमें कोई विकार न हो।
76. आशुतोष: शीघ्र प्रसन्न होने वाला।
77. इन्द्रजीत: इंद्र को जीतने वाला (रावण का पुत्र मेघनाद जिसे इंद्रजीत कहते हैं, हनुमान जी ने उसे परास्त किया था)।
78. उद्यत्प्रताप: जिसका प्रताप उदित हो रहा हो।
79. उपकारी: दूसरों का भला करने वाला।
80. ऊर्ध्वगामी: ऊपर की ओर जाने वाला, उन्नति करने वाला।
81. ओजवान: ओज से परिपूर्ण।
82. करुणामय: करुणा से भरा हुआ।
83. कलिमलहर: कलयुग के पापों को हरने वाला।
84. कामरूपिणे: इच्छानुसार रूप धारण करने वाला।
85. गदाधर: गदा धारण करने वाला।
86. गरिष्ठ: सबसे बड़ा या पूज्य।
87. गुरु: उपदेशक, शिक्षक।
88. गुणवान: गुणों से युक्त।
89. गोष्पदीकृतवाराशि: जिसने समुद्र को गाय के खुर के समान छोटा कर दिया हो।
90. चित्तशुद्धिकर्त्रे: मन को शुद्ध करने वाला।
91. जगतत्राता: संसार का रक्षक।
92. तेजस: तेजस्वी।
93. त्यागराज: त्याग करने वालों में श्रेष्ठ।
94. धर्मपालक: धर्म की रक्षा करने वाला।
95. ध्यानपरायण: ध्यान में लीन रहने वाला।
96. नित्य: शाश्वत, सदा रहने वाला।
97. निःस्वार्थ: स्वार्थ रहित।
98. निर्विकार: जिसमें कोई विकार न हो।
99. परोपकारी: दूसरों का भला करने वाला।
100. पराक्रमी: पराक्रमी।
101. प्रशांत: अत्यंत शांत।
102. पवित्र: शुद्ध।
103. पुराणपुरुष: प्राचीन पुरुष।
104. पुरुषोत्तम: पुरुषों में उत्तम (राम के प्रिय)।
105. बलशाली: अत्यधिक बल वाला।
106. ब्रह्मचारी: ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला।
107. भक्तवत्सल: भक्तों से प्रेम करने वाला।
108. महाद्युति: महान कांति वाला।
पाठ करने की विधि
हनुमान जी के 108 नामों का पाठ करने के लिए कुछ विशेष विधियों का पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त होता है। सर्वप्रथम, प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने घर के पूजा स्थल या किसी शांत एवं पवित्र स्थान पर आसन पर बैठें। हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और धूप, दीप प्रज्वलित कर उनका ध्यान करें। पाठ आरंभ करने से पूर्व मन में अपनी इच्छा या संकल्प दोहराएं। इसके बाद, रुद्राक्ष या तुलसी की माला से हनुमान जी के 108 नामों का एक या अधिक माला जाप करें। प्रत्येक नाम का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धापूर्वक करें, उसके अर्थ का मनन करें। एकाग्रता बनाए रखें और अपने मन को शांत रखें। पाठ समाप्त होने पर हनुमान जी से अपनी प्रार्थना करें और आरती उतारें। यह पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को यह अत्यंत फलदायी होता है।
पाठ के लाभ
हनुमान जी के 108 नामों का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भक्तों को अनेक अलौकिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। इन नामों का जाप करने से मन को असीम शांति मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है। यह पाठ व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति का संचार करता है, जिससे वह जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो जाता है। संकटमोचन हनुमान के नामों का स्मरण करने से सभी प्रकार के भय, बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं, और व्यक्ति को सुरक्षा का अनुभव होता है। यह पाठ शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देता है, चित्त को शुद्ध करता है और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है। जो भक्त नियमित रूप से इन नामों का जाप करते हैं, उन्हें हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है।
नियम और सावधानियाँ
हनुमान जी के 108 नामों का पाठ करते समय कुछ नियमों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। सर्वप्रथम, शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें। पाठ से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन को शांत और शुद्ध रखें, क्रोध, द्वेष या नकारात्मक विचारों से दूर रहें। पाठ के दौरान एकाग्रता बनाए रखें, ध्यान भंग न होने दें। मांस, मदिरा और अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से बचें, विशेष रूप से पाठ करने वाले दिनों में। ब्रह्मचर्य का पालन करना सर्वोत्तम माना जाता है। हनुमान जी के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें, बिना विश्वास के पाठ का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। पाठ को दिखावे या किसी गलत उद्देश्य से न करें। नियमितता और अनुशासन बनाए रखें। गर्भावस्था के दौरान या अशुद्ध अवस्था में महिलाएं मानसिक जाप कर सकती हैं। इन नियमों का पालन करने से पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है और हनुमान जी की कृपा बनी रहती है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, हनुमान जी के 108 नाम केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि ये उनके दिव्य गुणों, असीम शक्तियों और अटूट भक्ति के साक्षात् स्वरूप हैं। प्रत्येक नाम उनके अद्भुत चरित्र के एक नए आयाम को प्रकट करता है, जो हमें धर्म, साहस, निस्वार्थ सेवा और समर्पण का मार्ग दिखाता है। इन पावन नामों का स्मरण करना हमें स्वयं हनुमान जी के साथ एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। यह जाप हमें न केवल बाहरी संकटों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि हमारे भीतर छिपी हुई बुराइयों और दुर्बलताओं को भी नष्ट कर आंतरिक शुद्धि प्रदान करता है। जब हम ‘महावीर’ का उच्चारण करते हैं, तो हमारे भीतर भी वीरता का संचार होता है; जब हम ‘ज्ञानिनामग्रेसरं’ कहते हैं, तो बुद्धि की प्रखरता का अनुभव होता है; और जब ‘रामदूत’ कहते हैं, तो निःस्वार्थ सेवा का भाव जागृत होता है। आइए, हम सभी श्रद्धा और भक्ति भाव से इन दिव्य नामों का प्रतिदिन जाप करें और अपने जीवन को हनुमान जी की कृपा से प्रकाशित करें। उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन, जो भक्तों के दुःख हरते हैं और उन्हें सुख, शांति व समृद्धि प्रदान करते हैं। जय श्री राम, जय हनुमान!

