सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया भजन
जब हृदय में भक्ति का दीप प्रज्वलित होता है, तो संसार के सारे रंग फीके पड़ जाते हैं और केवल एक ही रंग मन को भाता है – वह है श्याम रंग, मेरे मोहन का रंग। ‘सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया’ – यह भजन केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों के अंतर्मन की पुकार है, उनके अनन्य प्रेम का उद्घोष है। यह उन सभी हृदयों की ध्वनि है जो श्री कृष्ण की दिव्य छवि में खोए रहते हैं, उनकी सांवली सूरत में अपने जीवन का सार पाते हैं। सनातन परंपरा में भगवान श्री कृष्ण का श्याम रंग केवल एक शारीरिक विशेषता नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक रहस्यों और परम सत्य का प्रतीक है। आज सनातन स्वर के इस विशेष ब्लॉग में हम इसी श्याम रंग के गहरे अर्थ, इसके रहस्य और सच्चे प्रेम व भक्ति के मार्ग पर इसके प्रभाव को जानेंगे।
मोहन की सांवली सूरत का रहस्य: एक दिव्य कथा
श्री कृष्ण का श्याम रंग, जो गहरा नीला प्रतीत होता है, कोई साधारण रंग नहीं है। यह अनंतता, असीमता और सर्वव्यापकता का प्रतीक है। जिस प्रकार नीला आकाश असीम है, नीला सागर अथाह है, उसी प्रकार भगवान कृष्ण का स्वरूप भी अनंत और अपार है। वे संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने भीतर समाहित किए हुए हैं। उनके श्याम रंग को लेकर अनेक मनमोहक कथाएं और आध्यात्मिक व्याख्याएं प्रचलित हैं।
कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में कारागार में जन्म लिया, तो उनका वर्ण मेघों के समान गहरा नीला था। यह रंग उनके विराट स्वरूप का द्योतक था, क्योंकि वे क्षीरसागर में विराजमान नारायण ही थे। वासुदेव जब उन्हें लेकर यमुना पार कर रहे थे, तब शेषनाग ने अपने फन फैलाकर उन्हें वर्षा और तूफान से बचाया था। इस घटना में भी दिव्य नीलिमा का एक गहरा संबंध दिखता है। बाद में, जब उन्होंने वृंदावन में अपनी बाल लीलाएं कीं, तो उनकी अनेक लीलाओं में यह श्याम रंग और भी प्रगाढ़ होता गया। पूतना का वध हो या कालीय नाग का मर्दन, इन सभी प्रसंगों में श्री कृष्ण ने अपनी दैवीय शक्ति का प्रदर्शन किया, जिससे उनके श्याम स्वरूप की महिमा और भी बढ़ गई।
गोपियों और राधा के लिए तो उनकी सांवली सूरत ही सौंदर्य की पराकाष्ठा थी। वे अपने मोहन के इस रंग में इतना खोई रहती थीं कि उन्हें कोई अन्य रंग दिखाई ही नहीं देता था। राधा रानी अक्सर श्री कृष्ण से उनके सांवले रंग के बारे में चंचल प्रश्न करती थीं, और कृष्ण अपनी मुस्कान से सभी शंकाओं को हर लेते थे। यह प्रेम का अद्भुत रंग है, जो भौतिकता से परे, केवल हृदय से देखा जा सकता है। मीराबाई ने अपने भजनों में बार-बार अपने गिरधर नागर की ‘सांवरिया सूरत’ का बखान किया है, तो सूरदास ने कृष्ण की बाल लीलाओं और उनके मनमोहक श्याम स्वरूप को अपनी कविताओं में जीवंत कर दिया। यह इस बात का प्रमाण है कि सदियों से भक्त कवि और संत उनके इसी रूप पर मुग्ध रहे हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से, श्याम रंग ब्रह्मांड के मूल तत्व ‘तमस’ से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह उस परम ब्रह्म का प्रतीक है जो समस्त गुणों से परे है। जब भक्त गहन ध्यान में उतरता है, तो उसे एक गहरे नीले प्रकाश का अनुभव होता है, जो ब्रह्म के निर्गुण स्वरूप का द्योतक है। कृष्ण का श्याम रंग इसी निर्गुण-सगुण स्वरूप की अद्भुत अभिव्यक्ति है। यह हमें सिखाता है कि ईश्वर को किसी एक रंग या रूप में बांधा नहीं जा सकता, बल्कि उनका हर रूप अनंत और दिव्य है। उनकी सांवली सूरत ही भक्तों के लिए प्रेम और आनंद का सागर बन जाती है, जिसमें गोता लगाने वाला हर जीव धन्य हो जाता है।
सांवली सूरत और सच्ची भक्ति का मार्ग: आध्यात्मिक महत्व
श्री कृष्ण की सांवली सूरत भक्तों के लिए सिर्फ एक बाहरी रूप नहीं, बल्कि आंतरिक प्रेम और आध्यात्मिक गहराई का प्रवेश द्वार है। यह सच्ची भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है, जहाँ रूप-रंग, जाति-धर्म और सांसारिक भेद समाप्त हो जाते हैं और केवल एक शुद्ध, निःस्वार्थ प्रेम शेष रहता है।
यह हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति भौतिक सौंदर्य की मोहताज नहीं होती। संसार में लोग गोरे रंग को अधिक सुंदर मानते हैं, परंतु श्री कृष्ण का सांवला रंग भक्तों के लिए परम सौंदर्य का प्रतीक बन गया। इसका कारण यह है कि भक्त उन्हें आँखों से नहीं, बल्कि हृदय से देखते हैं। जब हृदय में प्रेम का संचार होता है, तो ईश्वर का हर रूप मनमोहक लगने लगता है। कृष्ण का श्याम रंग उस विराट पुरुषोत्तम की ओर संकेत करता है, जो संपूर्ण सृष्टि का आधार है। जिस प्रकार ब्रह्मांड का विस्तार अनंत है और उसका कोई निश्चित रंग नहीं, उसी प्रकार श्री कृष्ण का यह रंग उनकी असीमता और सर्वव्यापकता का परिचायक है। यह दर्शाता है कि ईश्वर निराकार होकर भी सगुण रूप में प्रकट होते हैं, ताकि भक्त उनके साथ एक संबंध स्थापित कर सकें।
सांवली सूरत पर मुग्ध होना वास्तव में परम चेतना के प्रति समर्पण है। जब कोई भक्त श्री कृष्ण के इस रूप में लीन होता है, तो वह अपने अहं को त्याग देता है। उसे समझ आता है कि वास्तविक आनंद बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि परमात्मा के साथ अपने संबंध में है। यह श्याम रंग हमें वैराग्य और समर्पण का पाठ पढ़ाता है। यह प्रेम इतना गहरा होता है कि भक्त को संसार की अन्य कोई वस्तु आकर्षित नहीं करती। उनका मन केवल श्याम सुंदर के चरणों में रम जाता है। यह एक ऐसी आध्यात्मिक अवस्था है जहाँ द्वैत समाप्त हो जाता है और भक्त स्वयं को अपने आराध्य के साथ एकाकार महसूस करने लगता है।
भक्तों के लिए, कृष्ण की सांवली सूरत शांति, शीतलता और स्थिरता का भी प्रतीक है। जैसे गहरा नीला सागर शांत और स्थिर होता है, वैसे ही प्रभु का यह रूप मन को शांति प्रदान करता है और उसे सांसारिक अशांति से मुक्ति दिलाता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न आएं, ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखने से मन शांत रहता है। यह हमें मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है, जहाँ आत्मा परमात्मा से मिलकर परम आनंद और शांति को प्राप्त करती है। ‘सांवली सूरत पे मोहन’ भजन हमें इसी दिव्य प्रेम और मोक्ष की ओर प्रेरित करता है।
पूजा और परंपराएँ: श्याम रंग की उपासना
श्री कृष्ण के श्याम रंग की उपासना सनातन धर्म में अनेक रूपों और परंपराओं में की जाती है, जो भक्तों को भगवान से जुड़ने का अवसर प्रदान करती हैं।
- ध्यान और नाम जप: कृष्ण भक्ति में सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है उनके श्याम स्वरूप का ध्यान करते हुए नाम जप करना। ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे’ जैसे महामंत्रों का जाप करते हुए भक्त अपने मन में श्याम सुंदर की छवि को बसाते हैं। इस अभ्यास से मन शांत होता है और भगवान के साथ एक गहरा आत्मिक संबंध स्थापित होता है।
- भजन और कीर्तन: ‘सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया’ जैसे भजन और कीर्तन कृष्ण भक्ति का प्राण हैं। इन भजनों के माध्यम से भक्त भगवान के गुणों, लीलाओं और उनके मनमोहक श्याम स्वरूप का गुणगान करते हैं। सामूहिक कीर्तन में जब सैकड़ों कंठ एक साथ श्याम नाम का उच्चारण करते हैं, तो पूरा वातावरण दिव्य ऊर्जा से भर उठता है। यह भक्तों को भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से भगवान के करीब लाता है।
- आरती और पूजा: मंदिरों और घरों में दैनिक पूजा और आरती के दौरान श्री कृष्ण की प्रतिमा या विग्रह का ध्यान उनके श्याम स्वरूप में किया जाता है। उन्हें नीले या पीले वस्त्र, चंदन, तुलसीदल और रंग-बिरंगे फूल अर्पित किए जाते हैं, जो उनके दिव्य रूप की शोभा बढ़ाते हैं। यह भक्तों को भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करने का अवसर देता है।
- जन्माष्टमी का पर्व: जन्माष्टमी, श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का पावन पर्व, उनके श्याम स्वरूप के पूजन का सबसे बड़ा अवसर है। इस दिन भक्त उनके बाल रूप, जिसे अक्सर श्याम रंग में चित्रित किया जाता है, का अभिषेक करते हैं, पालना झुलाते हैं और उनके जन्म की खुशी मनाते हैं। मंदिरों में विशेष रूप से उनके श्याम विग्रह का श्रंगार किया जाता है।
- भागवत कथा और लीला श्रवण: श्रीमद्भागवत महापुराण और अन्य कृष्ण लीलाओं का श्रवण करना भी श्याम रंग की उपासना का एक महत्वपूर्ण अंग है। इन कथाओं के माध्यम से भक्त कृष्ण की अलौकिक लीलाओं, उनके प्रेम और उनके श्याम स्वरूप के महत्व को समझते हैं, जिससे उनकी भक्ति और भी प्रगाढ़ होती है।
- वृंदावन और अन्य धामों की यात्रा: कृष्ण से जुड़े पवित्र स्थलों, जैसे वृंदावन, मथुरा, द्वारका आदि की यात्रा करना, उनके श्याम स्वरूप के प्रति श्रद्धा को और भी गहरा करता है। इन स्थानों पर जाकर भक्त उनकी उपस्थिति का अनुभव करते हैं और उनके मनमोहक स्वरूप का प्रत्यक्ष दर्शन पाते हैं।
इन सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का मूल उद्देश्य भक्तों को श्री कृष्ण के श्याम रंग के आध्यात्मिक महत्व को समझना और उसके माध्यम से सच्ची भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना है। यह रंग न केवल उनकी असीमता का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, शांति और मोक्ष की राह भी दिखाता है।
निष्कर्ष
श्री कृष्ण की सांवली सूरत केवल एक रंग नहीं, बल्कि प्रेम, अनंतता, रहस्य और परम सत्य का प्रतीक है। ‘सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया’ भजन के माध्यम से करोड़ों भक्त जिस दिव्य सौंदर्य का गुणगान करते हैं, वह भौतिकता से परे, आध्यात्मिक गहराई से ओत-प्रोत है। यह श्याम रंग हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि हृदय की पवित्रता और ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम में निहित है।
मोहन की यह मोहिनी सूरत हमें सांसारिक बंधनों से मुक्त कर दिव्य प्रेम और शांति की ओर ले जाती है। यह हमें स्मरण कराती है कि ईश्वर सभी सीमाओं से परे हैं, और उनकी कृपा हर उस हृदय पर बरसती है जो उन्हें सच्चे मन से पुकारता है। सनातन स्वर पर हम आशा करते हैं कि इस ब्लॉग ने आपको श्री कृष्ण के श्याम रंग के गूढ़ अर्थ और सच्ची भक्ति के मार्ग को समझने में सहायता की होगी। आइए, हम सब मिलकर अपने हृदय के दीप को प्रेम के इस श्याम रंग से आलोकित करें और अपने जीवन को धन्य बनाएं। हरे कृष्ण!

