यह लेख हनुमान जी के सबसे प्रिय और शक्तिशाली मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ के महत्व, उसकी पावन कथा, पाठ विधि और असाधारण लाभों पर प्रकाश डालता है। जानिए कैसे यह मंत्र आपके जीवन से संकटों को दूर कर, आपको बल, बुद्धि और विद्या प्रदान कर सकता है और कैसे यह मंत्र साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

यह लेख हनुमान जी के सबसे प्रिय और शक्तिशाली मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ के महत्व, उसकी पावन कथा, पाठ विधि और असाधारण लाभों पर प्रकाश डालता है। जानिए कैसे यह मंत्र आपके जीवन से संकटों को दूर कर, आपको बल, बुद्धि और विद्या प्रदान कर सकता है और कैसे यह मंत्र साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

हनुमान जी का प्रिय मंत्र और लाभ

**प्रस्तावना**
सनातन धर्म में पवनपुत्र हनुमान जी को बल, बुद्धि, विद्या और अदम्य साहस का प्रतीक माना जाता है। वह भगवान शिव के एकादश रुद्रावतार और भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। उनकी भक्ति इतनी गहरी और निस्वार्थ है कि स्वयं भगवान राम ने उन्हें अपने हृदय में स्थान दिया है। जब-जब धरती पर संकट आया है, हनुमान जी ने अपने भक्तों की रक्षा की है और उन्हें निर्भयता प्रदान की है। उनके स्मरण मात्र से ही बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हनुमान जी की महिमा अपरंपार है और उन्हें प्रसन्न करने तथा उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम उनके प्रिय मंत्रों का जाप है। इन मंत्रों में अद्भुत शक्ति समाहित है, जो साधक के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकती है। यह लेख आपको हनुमान जी के एक ऐसे ही प्रिय और अत्यंत प्रभावशाली मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ के बारे में विस्तार से बताएगा, साथ ही उसके जाप की विधि और उससे प्राप्त होने वाले अनमोल लाभों पर भी प्रकाश डालेगा। यह मंत्र केवल शब्दों का समूह नहीं, अपितु स्वयं हनुमान जी की ऊर्जा का स्पंदन है, जो आपको हर भय से मुक्ति दिलाकर जीवन पथ पर अग्रसर करेगा।

**पावन कथा**
त्रेता युग की बात है, जब भगवान राम अपनी धर्मपत्नी सीता की खोज में वन-वन भटक रहे थे। किष्किंधा पर्वत पर उनका मिलन भक्त शिरोमणि हनुमान से हुआ। हनुमान जी ने अत्यंत विनम्रता और श्रद्धा से भगवान राम के समक्ष अपनी सेवा प्रस्तुत की। जैसे ही उन्होंने श्रीराम के दर्शन किए, उनका रोम-रोम पुलकित हो उठा। उन्हें तत्काल आभास हो गया कि यही उनके आराध्य हैं, जिनकी सेवा के लिए उनका जन्म हुआ है। हनुमान जी ने भगवान राम की सहायता का संकल्प लिया और सीता माता की खोज का बीड़ा उठाया।

जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि माता सीता अशोक वाटिका में रावण की कैद में अत्यंत दुखी और व्याकुल थीं। उनके हृदय में राम वियोग की अग्नि जल रही थी। हनुमान जी ने अत्यंत चतुराई से माता सीता को भगवान राम का संदेश दिया और उन्हें धैर्य बंधाया। माता सीता को विश्वास दिलाने के लिए हनुमान जी ने अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया, लंका दहन किया और राक्षसों का संहार किया। इस पूरी यात्रा में, हर क्षण हनुमान जी के हृदय में केवल और केवल ‘राम नाम’ का अखंड जाप चल रहा था। उनकी हर साँस, हर धड़कन में राम ही समाए थे। यही उनकी असीम शक्ति का स्रोत था।

एक बार देवर्षि नारद ने हनुमान जी से प्रश्न किया, “हे पवनपुत्र! आपकी अपार शक्ति का रहस्य क्या है? आप इतने बलशाली, बुद्धिमान और विद्यावान कैसे हैं? कौन सा मंत्र है जो आपको इतना प्रिय है और जिससे आप अजेय बने रहते हैं?” हनुमान जी मंद-मंद मुस्कुराए और बोले, “हे देवर्षि! मेरे लिए तो मेरे प्रभु श्रीराम का नाम ही सबसे प्रिय मंत्र है। उनके नाम का जाप ही मेरी हर शक्ति का आधार है। परंतु, यदि कोई भक्त मुझसे सीधा जुड़ना चाहता है और मेरी कृपा प्राप्त करना चाहता है, तो उसे ‘ॐ हं हनुमते नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र में ‘ॐ’ परमात्मा का मूल स्वरूप है, ‘हं’ मेरा बीज मंत्र है, जो मेरी शक्ति और ऊर्जा को व्यक्त करता है, और ‘हनुमते नमः’ मेरे प्रति समर्पण और वंदन है। जो इस मंत्र का निष्ठापूर्वक जाप करता है, मैं उसके सभी संकटों को हर लेता हूँ और उसे बल, बुद्धि, विद्या और मोक्ष प्रदान करता हूँ।”

देवर्षि नारद ने हनुमान जी के इस पावन वचन को संसार में प्रसारित किया। तब से यह मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ हनुमान जी का अत्यंत प्रिय और भक्तों के लिए संकटमोचक मंत्र बन गया। यह केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि हनुमान जी के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, जो साधक को सीधे पवनपुत्र से जोड़ता है। इस मंत्र के जाप से भक्तों के जीवन से भय, रोग, शोक और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें बजरंगबली का अभय वरदान प्राप्त होता है। हनुमान जी की भक्ति और यह पावन मंत्र आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा और शक्ति प्रदान कर रहा है।

**दोहा**
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
ध्यान धरे जो पवनसुत का, दूर होय सब भय कबीरा।

**चौपाई**
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।

**पाठ करने की विधि**
हनुमान जी के प्रिय मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ का जाप अत्यंत सरल और प्रभावशाली है, परंतु इसका पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों और विधि का पालन करना आवश्यक है।

1. **शुद्धि और स्नान:** सर्वप्रथम प्रातःकाल उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शारीरिक शुद्धता के साथ-साथ मन की शुद्धता भी आवश्यक है।
2. **स्थान का चयन:** एक शांत और पवित्र स्थान का चुनाव करें। आप अपने पूजा घर में या किसी एकांत स्थान पर जहां आपको कोई बाधा न पहुंचाए, वहां बैठकर जाप कर सकते हैं।
3. **आसन:** लाल रंग का आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। लाल रंग हनुमान जी को अत्यंत प्रिय है और यह ऊर्जा व शक्ति का प्रतीक है।
4. **संकल्प:** जाप आरंभ करने से पहले हनुमान जी का ध्यान करें और मन ही मन अपनी मनोकामना का संकल्प लें। यह संकल्प आपके जाप को एक दिशा देगा।
5. **दीप प्रज्ज्वलन:** हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने एक शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती भी जला सकते हैं।
6. **पूजन:** हनुमान जी को लाल पुष्प, सिंदूर, चमेली का तेल और नैवेद्य (गुड़-चना, बूंदी या लड्डू) अर्पित करें।
7. **माला का प्रयोग:** रुद्राक्ष की माला या तुलसी की माला का उपयोग कर सकते हैं। माला को गोमुखी में रखकर जाप करें।
8. **जाप संख्या:** इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। आप अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार एक, तीन, पांच, सात या ग्यारह माला (108 दाने की एक माला) का जाप कर सकते हैं। हनुमान जी को मंगलवार और शनिवार का दिन समर्पित है, इन दिनों में जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पूर्व) में किया गया जाप अत्यंत फलदायी होता है।
9. **एकाग्रता:** जाप करते समय पूरी एकाग्रता के साथ मंत्र का उच्चारण करें। मन को इधर-उधर भटकने न दें। हनुमान जी के स्वरूप का ध्यान करें।
10. **समाप्ति:** जाप पूर्ण होने पर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। अंत में हनुमान जी की आरती करें और उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

**पाठ के लाभ**
हनुमान जी के प्रिय मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ के जाप से साधक को अनेक लौकिक और अलौकिक लाभ प्राप्त होते हैं, जो उसके जीवन को पूर्णता प्रदान करते हैं:

1. **भय और बाधाओं से मुक्ति:** यह मंत्र सभी प्रकार के भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है। जो व्यक्ति भूत-प्रेत या अनजानी शक्तियों से पीड़ित होते हैं, उन्हें इस मंत्र के जाप से शांति और सुरक्षा मिलती है। हनुमान जी स्वयं संकटमोचन हैं, इसलिए उनके मंत्र से बड़े से बड़े संकटों का निवारण होता है।
2. **शारीरिक और मानसिक बल:** यह मंत्र साधक को शारीरिक रूप से शक्तिशाली और मानसिक रूप से दृढ़ बनाता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होता है। शारीरिक रोगों और कमजोरियों को दूर करने में भी यह अत्यंत सहायक है।
3. **बुद्धि और विद्या की प्राप्ति:** हनुमान जी स्वयं ज्ञानियों में अग्रगण्य हैं। इस मंत्र के जाप से एकाग्रता बढ़ती है, स्मरण शक्ति तीव्र होती है और व्यक्ति को सही निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त होती है। विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र विशेष रूप से लाभकारी है, यह उन्हें शिक्षा में सफलता दिलाता है।
4. **आत्मविश्वास में वृद्धि:** जो लोग झिझक या आत्मविश्वास की कमी महसूस करते हैं, उन्हें इस मंत्र के निरंतर जाप से अद्भुत आत्मबल प्राप्त होता है। यह नेतृत्व क्षमता को विकसित करता है और व्यक्ति को निडर बनाता है।
5. **ग्रह दोषों का शमन:** ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि देव सहित कई ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने में यह मंत्र बहुत प्रभावी है। विशेषकर शनि की साढ़ेसाती और ढैया के दौरान इसका जाप शांति प्रदान करता है।
6. **मनोकामना पूर्ति:** सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से किया गया यह जाप व्यक्ति की सभी सद्कामनाओं को पूर्ण करता है। चाहे वह नौकरी, व्यापार, विवाह, संतान या स्वास्थ्य से संबंधित हो, हनुमान जी भक्तों की इच्छाएं अवश्य पूरी करते हैं।
7. **नकारात्मक ऊर्जा का नाश:** घर या कार्यक्षेत्र में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा, कलह और अशांति को यह मंत्र दूर करता है। सकारात्मक और शांतिपूर्ण वातावरण का निर्माण होता है।
8. **साहस और पराक्रम:** यह मंत्र व्यक्ति के भीतर सुप्त साहस और पराक्रम को जागृत करता है। विपरीत परिस्थितियों में भी व्यक्ति धैर्य नहीं खोता और दृढ़ता से खड़ा रहता है।
9. **मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति:** अंततः यह मंत्र केवल भौतिक लाभ ही नहीं, बल्कि साधक को आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी ले जाता है। यह मन को शांत कर परमात्मा से जुड़ने में सहायता करता है और मोक्ष मार्ग प्रशस्त करता है।

**नियम और सावधानियाँ**
हनुमान जी के प्रिय मंत्र का जाप करते समय कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि जाप का पूर्ण फल प्राप्त हो सके और किसी प्रकार के अनिष्ट से बचा जा सके:

1. **पवित्रता:** शारीरिक और मानसिक शुद्धता सर्वोपरि है। स्नान करके ही जाप करें और मन में किसी के प्रति द्वेष या नकारात्मक विचार न रखें।
2. **ब्रह्मचर्य:** हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं। यदि संभव हो तो जाप के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें। यह साधना को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।
3. **सात्विक भोजन:** मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज जैसे तामसिक भोजन का त्याग करें। केवल सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करें।
4. **नियमितता:** जाप को नियमित रूप से, प्रतिदिन एक निश्चित समय पर करने का प्रयास करें। अनियमितता से जाप का प्रभाव कम हो सकता है।
5. **श्रद्धा और विश्वास:** हनुमान जी के प्रति अगाध श्रद्धा और मंत्र की शक्ति में पूर्ण विश्वास रखना अत्यंत आवश्यक है। संदेह मन में न लाएं।
6. **क्रोध का त्याग:** जाप के दौरान और सामान्य जीवन में भी क्रोध, अहंकार और कटु वचनों का त्याग करें। हनुमान जी शांतिप्रिय और विनम्रता के उपासक हैं।
7. **गुरु का मार्गदर्शन:** यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करें। इससे जाप की शुद्धता और प्रभाव बढ़ता है।
8. **स्वच्छता:** जिस स्थान पर आप जाप करते हैं, उस स्थान को हमेशा स्वच्छ और पवित्र रखें।
9. **महिलाओं के लिए:** मासिक धर्म के दौरान महिलाएं जाप या पूजा न करें। इस अवधि के बाद शुद्ध होकर पुनः जाप आरंभ कर सकती हैं।
10. **परोपकार:** हनुमान जी स्वयं परोपकारी और सेवाभावी हैं। अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें। इससे हनुमान जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

इन नियमों का पालन करते हुए किया गया मंत्र जाप निश्चित रूप से आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और हनुमान जी की कृपा लेकर आएगा।

**निष्कर्ष**
पवनपुत्र हनुमान जी की भक्ति और उनके प्रिय मंत्र ‘ॐ हं हनुमते नमः’ में वह अलौकिक शक्ति समाहित है, जो जीवन के हर अंधकार को दूर कर प्रकाश भर सकती है। यह मंत्र केवल कुछ शब्दों का समूह नहीं, अपितु हनुमान जी के बल, बुद्धि, विद्या और अदम्य साहस का प्रत्यक्ष रूप है। सच्चे हृदय से किया गया इसका जाप साधक को न केवल लौकिक सुखों और सफलताओं से परिपूर्ण करता है, बल्कि उसे आध्यात्मिक मार्ग पर भी अग्रसर करता है।

जब आप ‘ॐ हं हनुमते नमः’ का उच्चारण करते हैं, तो आप स्वयं को उस परम शक्ति से जोड़ते हैं, जिसने असंभव को संभव बनाया, जिसने श्रीराम के हर संकट में साथ दिया। यह मंत्र आपको आंतरिक शांति, मानसिक स्थिरता और जीवन की हर चुनौती का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। तो आइए, आज से ही इस पावन मंत्र को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं। विश्वास रखें, हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। उनकी कृपा से आपका जीवन भयमुक्त, तेजस्वी और आनंदमय हो जाएगा। जय बजरंगबली!

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Category: भक्ति और साधना, आध्यात्मिक जीवन, हनुमान जी की महिमा
Slug: hanuman-ji-ka-priya-mantra-aur-labh
Tags: हनुमान मंत्र, संकट मोचन मंत्र, ॐ हं हनुमते नमः, बजरंगबली, हनुमान जी के फायदे, बाधा निवारण, शक्ति मंत्र, हनुमान साधना

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