कृष्ण लीला की कहानियाँ
**प्रस्तावना**
सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का जीवन स्वयं एक दिव्य महाकाव्य है। उनकी प्रत्येक लीला, विशेषकर बाल लीलाएँ, केवल कहानियाँ नहीं बल्कि गहन आध्यात्मिक रहस्यों से भरी हुई हैं। ये लीलाएँ हमें जीवन के अनमोल पाठ सिखाती हैं और प्रेम, भक्ति तथा धर्म की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करती हैं। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर या किसी भी शुभ दिन पर, इन बाल लीलाओं का स्मरण करना, हृदय में अलौकिक आनंद और शांति भर देता है। इन लीलाओं में भगवान का बाल सुलभ नटखटपन, अदम्य साहस और सर्वशक्तिमान स्वरूप एक साथ प्रकट होता है। आज हम श्रीकृष्ण की कुछ ऐसी ही अनमोल और अनसुनी लीलाओं पर विचार करेंगे, जो उनके दिव्य स्वरूप को दर्शाती हैं और हमें जीवन जीने की सही दिशा प्रदान करती हैं। ये लीलाएँ हमें भगवान के प्रति अटूट विश्वास और श्रद्धा रखने की प्रेरणा देती हैं।
**पावन कथा**
नंद गाँव की गलियों में, यमुना के पावन तट पर, वृंदावन की कुंज गलियों में, कन्हैया की प्रत्येक गतिविधि एक चमत्कार थी। वह केवल एक नटखट बालक नहीं, अपितु स्वयं परब्रह्म परमेश्वर थे, जिन्होंने धरती पर धर्म की स्थापना और भक्तों के उद्धार हेतु अवतार लिया था। उनकी बाल लीलाएँ, जिन्हें ‘बाल लीला रहस्य’ कहा जाता है, सामान्य मानवीय समझ से परे हैं और गहरे आध्यात्मिक अर्थ समेटे हुए हैं। प्रत्येक लीला में ‘जन्माष्टमी कृष्ण बाल लीला रहस्य’ छिपा है, जो उनके दिव्य होने का प्रमाण है।
एक ऐसी ही अनुपम लीला है ‘पूतना वध’। कंस द्वारा भेजी गई पूतना, एक राक्षसी थी जिसने नवजात शिशुओं को विषपान कराकर मारने का संकल्प लिया था। वह एक सुंदर स्त्री का रूप धरकर नंदगाँव में आई और यशोदा मैया के लाडले कान्हा को दूध पिलाने के बहाने विषपान कराने लगी। परंतु यह क्या! नन्हा कान्हा, जो मात्र कुछ दिनों का था, उसने पूतना के प्राण ही नहीं, बल्कि उसके समस्त पापों का भी हरण कर उसे मोक्ष प्रदान किया। पूतना, जो पहले राक्षसी थी, अंततः भगवान के स्पर्श से मोक्ष को प्राप्त हुई। यह दर्शाता है कि भगवान के लिए कोई अपना पराया नहीं, वे सभी के उद्धारकर्ता हैं। इस लीला का आध्यात्मिक महत्व यह है कि भगवान हमारे भीतर के विकारों और बुराइयों को शैशवावस्था में ही समाप्त कर देते हैं, यदि हम पूर्ण शरणागति अपना लें और सच्चे हृदय से उनकी शरण में आएं। यह ‘अनसुनी लीलाओं’ में से एक है जो हमें बताती है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, ईश्वरीय शक्ति के सामने टिक नहीं सकती। यह ‘childhood miracles’ का एक अद्भुत उदाहरण है, जिसमें शिशु रूप में ही भगवान ने दुष्ट का संहार कर दिया।
फिर आती है ‘माखन चोरी’ की लीला। कन्हैया को माखन बहुत प्रिय था। वह गोपियों के घरों में घुसकर माखन चुराते, अपने सखाओं को खिलाते और स्वयं भी खाते। गोपियाँ उनसे परेशान होकर यशोदा मैया से शिकायत करतीं, पर कान्हा की मधुर मुस्कान और उनके भोलेपन के आगे मैया भी पिघल जातीं। यह लीला ऊपरी तौर पर नटखटता लगती है, पर इसका गहरा अर्थ है। माखन मन की पवित्रता और प्रेम का प्रतीक है। भगवान माखन चुराते हैं, यानी वे हमारे हृदय से छल-कपट रूपी अशुद्धियों को चुराकर, प्रेम और भक्ति का शुद्ध माखन स्थापित करते हैं। वे केवल वही चुराते हैं जो शुद्ध प्रेम से दिया जाता है। इस लीला के माध्यम से भगवान भक्तों के अहंकार को तोड़ते हैं और उन्हें निस्वार्थ प्रेम का महत्व समझाते हैं। यह ‘अनमोल कहानियों’ में से एक है जो हमें सिखाती है कि भगवान को केवल निर्मल प्रेम से ही पाया जा सकता है। यह ‘Krishna’s early life lessons’ में से एक है, जो दर्शाती है कि भगवान भक्त की भावना को देखते हैं, न कि उसकी संपत्ति को, और उनका प्रेम केवल प्रेम के आदान-प्रदान से ही संतुष्ट होता है।
यमुना किनारे की एक और विस्मयकारी लीला है ‘कालिया मर्दन’। यमुना नदी को कालिया नाग ने अपने विष से दूषित कर दिया था, जिससे जल पीने लायक नहीं रहा था और उसके किनारे रहने वाले जीव-जंतुओं पर भी संकट था। एक दिन जब ग्वाल-बाल खेल रहे थे, उनकी गेंद यमुना में गिर गई। कान्हा ने निडर होकर उस विषैले कुंड में छलांग लगा दी। कालिया नाग क्रोधित हुआ और कान्हा को जकड़ लिया। पर नन्हा कान्हा, जिसने संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने मुख में समा रखा था, उसने कालिया के फनों पर नृत्य किया और उसे यमुना छोड़कर समुद्र में जाने पर विवश कर दिया। यह ‘चाइल्डहुड मिरेकल’ का अद्भुत उदाहरण है। इसका आध्यात्मिक संदेश यह है कि भगवान भक्त के जीवन से सभी प्रकार के विष और भय को दूर करते हैं, और हमें विकारों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देते हैं। यह हमें ‘अर्ली लाइफ लेसन्स’ देता है कि अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, धर्म और सत्य की विजय निश्चित है, और भगवान हमेशा अपने भक्तों के साथ खड़े रहते हैं, चाहे परिस्थिति कितनी भी भयावह क्यों न हो, वे अपने शरणागत की रक्षा अवश्य करते हैं।
इसके अतिरिक्त, ‘यशोदा-कृष्ण विश्वरूप दर्शन’ की लीला भी अत्यंत मार्मिक है। एक बार कान्हा ने मिट्टी खाई, और मैया यशोदा ने जब उन्हें मुँह खोलने को कहा, तो कान्हा ने अपने मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन कराए – पहाड़, नदियाँ, ग्रह, तारे, और यहाँ तक कि स्वयं मैया यशोदा और उन्हें डांटती हुई मैया का प्रतिबिंब भी। यह दर्शाता है कि यह बालक कोई साधारण नहीं, अपितु स्वयं विराट पुरुष है, जो समय और स्थान की सीमाओं से परे है। यह लीला ‘जन्माष्टमी कृष्ण बाल लीला रहस्य’ का सबसे बड़ा प्रमाण है, जो भगवान के सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान स्वरूप को दर्शाता है, और मैया के वात्सल्य प्रेम की पराकाष्ठा को भी प्रदर्शित करता है।
गोवर्धन पर्वत उठाने की लीला भी अद्भुत है। इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए, कन्हैया ने सात वर्षीय बालक के रूप में, अपनी छोटी उँगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, और ब्रजवासियों को घनघोर वर्षा से बचाया था। यह लीला दर्शाती है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा हर संकट से करते हैं और उनकी शक्ति असीमित है। यह ‘untold stories’ में से एक है, जो भगवान की भक्तों के प्रति करुणा और उनके दिव्य सामर्थ्य को प्रकट करती है, और हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में ही सबसे बड़ी शक्ति निहित है।
श्रीकृष्ण की ये लीलाएँ मात्र कथाएँ नहीं, ये जीवन के गहनतम सत्यों को उजागर करने वाले दिव्य नाटक हैं। इनमें हमें प्रेम, त्याग, साहस, शरणागति और धर्म की स्थापना के अनमोल पाठ मिलते हैं, जो हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
**दोहा**
मोहन मुरलीधर श्याम की, बाल लीला अति पावन।
जो नित सुमिरै भाव सों, मिटै सकल भव बंधन।।
**चौपाई**
बाल कृष्ण की छवि अति न्यारी, मोर मुकुट सिर, कानन कुंडल भारी।
कंकन कर में, नूपुर पग प्यारी, मन मोहे सबकी, ये छबि दुलारी।।
माखनचोर कहावै कन्हैया, ब्रज गोपिन के मन भइया।
लीला रचें नटखट हरदम, अधर धरे बंसी की सरगम।।
**पाठ करने की विधि**
कृष्ण लीलाओं का पाठ करने की विधि अत्यंत सरल और भक्तिपूर्ण है। सर्वप्रथम, एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। भगवान श्रीकृष्ण की छवि या मूर्ति के समक्ष बैठें। यदि संभव हो, तो एक छोटा दीपक जलाएं, अगरबत्ती करें और चंदन या तुलसी माला से उनका स्मरण करें। पाठ आरंभ करने से पहले, मन को शांत करें और भगवान से प्रार्थना करें कि वे आपको अपनी लीलाओं के गूढ़ अर्थ को समझने की शक्ति प्रदान करें। इन कहानियों को केवल कहानी के रूप में न पढ़ें, बल्कि हर घटना में छिपे आध्यात्मिक महत्व और बाल कृष्ण के दिव्य स्वरूप का चिंतन करें। पूरे श्रद्धा भाव से इन लीलाओं का श्रवण या पाठ करें, जैसे कि आप स्वयं उन क्षणों के साक्षी हों। सुबह या शाम का समय पाठ के लिए अधिक शुभ माना जाता है।
**पाठ के लाभ**
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के पाठ से अनेक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इन कथाओं का नियमित श्रवण या पठन मन को शांति प्रदान करता है और चिंता तथा तनाव को दूर करता है। यह हृदय में भगवान के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति को जगाता है, जिससे साधक भवसागर को पार करने में सक्षम होता है। इन लीलाओं में निहित जीवन के अनमोल पाठ हमें धर्म, न्याय और नैतिक मूल्यों को समझने में सहायता करते हैं। यह हमें नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाकर सकारात्मकता की ओर अग्रसर करता है। भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं को पार करने की शक्ति मिलती है। यह हमें ‘आध्यात्मिक महत्व’ को समझने में मदद करता है और जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाता है, अंतर्मन में संतोष और प्रसन्नता का अनुभव कराता है।
**नियम और सावधानियाँ**
इन पावन लीलाओं का पाठ करते समय कुछ नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। पाठ हमेशा स्वच्छ मन और शरीर से करें। तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांसाहार) से बचें और सात्विक आहार ग्रहण करें। पाठ करते समय अनावश्यक बातों से बचें और अपने मन को पूर्णतः भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में केंद्रित करें। ऐसी जगहों पर पाठ न करें जहाँ नकारात्मकता या अशांति का वातावरण हो। इन लीलाओं को केवल मनोरंजन के उद्देश्य से न देखें, बल्कि इन्हें भगवान के दिव्य संदेश के रूप में स्वीकार करें। किसी भी प्रकार की शंका या तर्क-वितर्क से बचें और पूर्ण विश्वास के साथ पाठ करें। यह सुनिश्चित करें कि आपका उद्देश्य केवल भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति हो, न कि प्रदर्शन या किसी व्यक्तिगत लाभ की कामना।
**निष्कर्ष**
भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ अनंत हैं और प्रत्येक लीला अपने आप में एक ब्रह्मांड समेटे हुए है। ये केवल अतीत की घटनाएँ नहीं, बल्कि आज भी हमारे जीवन में उतनी ही प्रासंगिक हैं। ये लीलाएँ हमें सिखाती हैं कि कैसे एक छोटा सा बालक भी असीमित शक्ति और प्रेम का स्रोत हो सकता है। जब हम इन ‘अनमोल कहानियों’ का स्मरण करते हैं, तो हमारे हृदय में दिव्य प्रेम का संचार होता है। जन्माष्टमी हो या कोई भी दिन, कान्हा की इन मनमोहक लीलाओं में डूब जाना ही सच्ची भक्ति है। इन लीलाओं का चिंतन हमें जीवन के हर पहलू में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव कराता है। आइए, हम सब मिलकर इन मधुर और आध्यात्मिक लीलाओं का निरंतर चिंतन करें और अपने जीवन को धन्य बनाएँ, कृष्ण प्रेम में लीन होकर परम आनंद को प्राप्त करें। जय श्री कृष्ण!

