घर में पधारो गजानन जी: गणेश चतुर्थी पर सुख-समृद्धि का आह्वान
गणेश चतुर्थी का पावन पर्व निकट आ रहा है, और इसके साथ ही चारों ओर एक अद्भुत उत्साह और उमंग का संचार होने लगा है। यह वह समय है जब हम सब अपने प्रिय विघ्नहर्ता, प्रथम पूज्य भगवान गणेश को अपने घरों में आमंत्रित करने के लिए आतुर रहते हैं। ‘घर में पधारो गजानन जी’ यह केवल एक भजन के बोल नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों के हृदय की सच्ची पुकार है, एक ऐसी प्रार्थना जो विघ्नों को हरने वाले और रिद्धि-सिद्धि के दाता को अपने आंगन में बुलाने की आकांक्षा रखती है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर आइए, हम भगवान गणेश को केवल प्रतिमा के रूप में नहीं, बल्कि सच्चे मन, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से अपने घर-संसार में पधारने का न्योता दें और उनके दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करें। यह ब्लॉग आपको गणेश जी के आगमन की महत्ता, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के सरल उपाय और घर पर उनकी पूजा की विधि बताएगा, ताकि आप भी इस महापर्व का पूरा लाभ उठा सकें।
गणेश जी की पावन कथा: कैसे हुए प्रथम पूज्य गजानन
भगवान गणेश की कथा सनातन धर्म की सबसे प्रिय और प्रेरणादायक कथाओं में से एक है। यह कथा न केवल उनके अद्वितीय स्वरूप के रहस्य को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि उन्हें प्रथम पूज्य का स्थान क्यों मिला। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने द्वार पर किसी को भी प्रवेश न देने का निर्देश दिया। उस समय उनकी सेवा में एक द्वारपाल की आवश्यकता थी। अपनी मैल से उन्होंने एक सुंदर बालक की रचना की और उसे प्राण दिए, फिर उसे द्वार पर खड़ा कर दिया और स्पष्ट निर्देश दिया कि उनकी अनुमति के बिना किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दे।
बालक ने अपनी माता की आज्ञा का अक्षरशः पालन किया। कुछ समय पश्चात् भगवान शिव वहां पधारे और अंदर प्रवेश करना चाहा। बालक ने उन्हें रोक दिया और अंदर जाने से मना कर दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए कि एक साधारण बालक उन्हें रोकेगा। उन्होंने बालक को समझाने का प्रयास किया, लेकिन बालक अपनी माता की आज्ञा पर अटल रहा। बात इतनी बढ़ गई कि भगवान शिव और उस बालक के बीच युद्ध छिड़ गया। सभी देवताओं ने बालक को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह अपने संकल्प पर दृढ़ रहा। अंततः, भगवान शिव ने क्रोधवश अपने त्रिशूल से उस बालक का शीश धड़ से अलग कर दिया।
जब माता पार्वती स्नान के उपरांत बाहर आईं और अपने पुत्र को मृत पाया, तो वे अत्यंत क्रोधित हुईं और उन्होंने सृष्टि का विनाश करने की धमकी दी। सभी देवता भयभीत हो गए और उन्होंने माता पार्वती से क्षमा याचना की। भगवान शिव ने माता पार्वती को शांत करने के लिए कहा कि वे तुरंत एक ऐसे बालक का शीश लेकर आएं, जिसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो और जिसकी माता अपने पुत्र की तरफ पीठ करके लेटी हो। देवताओं ने बहुत खोजबीन की, लेकिन ऐसा कोई बालक नहीं मिला। अंत में, उन्हें एक हाथी का बच्चा मिला, जिसका शीश उत्तर दिशा की ओर था और उसकी माँ पीठ करके लेटी थी। देवों ने उस हाथी के बच्चे का शीश लाकर भगवान शिव को समर्पित किया।
भगवान शिव ने उस हाथी के शीश को बालक के धड़ से जोड़ा और उसे पुनः जीवित कर दिया। माता पार्वती का क्रोध शांत हुआ, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि इस बालक को सभी देवताओं से पहले पूजा जाएगा। भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दिया कि सभी शुभ कार्यों में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाएगी, और जो भी उनकी पूजा नहीं करेगा, उसके कार्य सफल नहीं होंगे। इस प्रकार, गज का मुख होने के कारण वे ‘गजानन’ और देवताओं के स्वामी होने के कारण ‘गणेश’ कहलाए। तभी से उन्हें प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाने लगा। उनकी विशाल काया, बड़े कान, छोटी आँखें और टूटे हुए दांत में गहरे आध्यात्मिक अर्थ छिपे हैं, जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का पाठ पढ़ाते हैं।
देवotional महत्व: विघ्नहर्ता के आगमन से सुख-समृद्धि का संचार
भगवान गणेश की पूजा का महत्व केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने का एक आध्यात्मिक मार्ग है। उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी बाधाओं को दूर करने वाला। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा करने से वह कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है। वे बुद्धि के देवता हैं, जो हमें सही निर्णय लेने और ज्ञान प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करते हैं। उनकी उपस्थिति मात्र से ही नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
जब हम ‘घर में पधारो गजानन जी’ भजन गाते हैं, तो हम केवल एक मूर्ति को आमंत्रित नहीं करते, बल्कि साक्षात सुख, समृद्धि, ज्ञान और शांति को अपने घर में बुलाते हैं। गणेश जी रिद्धि और सिद्धि के स्वामी हैं। रिद्धि का अर्थ है धन-धान्य और समृद्धि, जबकि सिद्धि का अर्थ है सफलता और पूर्णता। जहाँ गणेश जी का वास होता है, वहाँ ये दोनों शक्तियाँ स्वतः ही आ जाती हैं। उनके आगमन से परिवार में प्रेम, सौहार्द और खुशहाली बढ़ती है। वे बच्चों को बुद्धि और विवेक प्रदान करते हैं, युवाओं को करियर में सफलता का मार्ग दिखाते हैं, और बड़ों को शांति और संतोष देते हैं।
गणेश चतुर्थी पर उनका घर में आगमन एक उत्सव से कहीं बढ़कर है। यह एक मौका है अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करने का, अपने भीतर के अहंकार और अज्ञान को दूर करने का। यह हमें सिखाता है कि कैसे विनम्रता और भक्ति के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना किया जाए। गणेश जी की आराधना से व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त करता है, भय और चिंता से मुक्ति मिलती है। उनकी पूजा से न केवल भौतिक लाभ होते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है, जिससे जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
सरल गणेश पूजा विधि एवं सुख-समृद्धि के विशेष अनुष्ठान
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को घर में पधारने का आमंत्रण देना और उनकी पूजा करना एक अत्यंत सरल और शुभ कार्य है, जिसे कोई भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ कर सकता है। यहाँ घर पर गणेश पूजा की एक सरल विधि और सुख-समृद्धि के लिए विशेष अनुष्ठान दिए गए हैं:
सरल गणेश पूजा विधि (Simple Ganesh Puja at home):
- तैयारी:
- सर्वप्रथम अपने पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करें।
- एक चौकी या पटले पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। प्रतिमा मिट्टी की हो तो सर्वोत्तम है।
- पूजा सामग्री एकत्र करें: जल, अक्षत (चावल), रोली, मौली (कलावा), सिन्दूर, हल्दी, चंदन, धूप, दीप (घी का), अगरबत्ती, फूल (लाल गुड़हल या गेंदा), दूर्वा (21 गांठ वाली), मोदक या लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण)।
- गणेश आह्वान:
- हाथ में थोड़ा जल और अक्षत लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें और मंत्र बोलें: “ॐ गं गणपतये नमः। हे गजानन, हमारे घर में पधारो।”
- जल और अक्षत भगवान के चरणों में अर्पित करें।
- आसन प्रदान:
- भगवान को आसन प्रदान करने की भावना से पुष्प या कुछ अक्षत अर्पित करें।
- स्नान:
- पंचामृत से स्नान कराएं। यदि मूर्ति छोटी हो तो चम्मच से थोड़ा-थोड़ा पंचामृत अर्पित करें। फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- कपड़े से पोंछकर पुनः आसन पर विराजित करें।
- वस्त्र एवं उपवस्त्र:
- भगवान को वस्त्र (मौली) और उपवस्त्र (कलावा) अर्पित करें।
- तिलक:
- भगवान गणेश को सिन्दूर, चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं।
- पुष्प एवं दूर्वा:
- लाल फूल और 21 दूर्वा की गांठें “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें।
- धूप-दीप:
- धूप और घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- नैवेद्य:
- मोदक, लड्डू, फल और अन्य मिष्ठान का भोग लगाएं। पान, सुपारी, लौंग, इलायची भी अर्पित करें।
- जल का छिड़काव करें।
- गणेश मंत्र जाप:
- कम से कम 108 बार “ॐ गं गणपतये नमः” या “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।” मंत्र का जाप करें।
- गणेश आरती:
- धूप-दीप और कपूर से भगवान गणेश की आरती करें। “जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा” आरती गाएं।
- प्रदक्षिणा और क्षमा याचना:
- तीन बार परिक्रमा करें।
- अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें।
- परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
सुख-समृद्धि और धन लाभ के लिए विशेष अनुष्ठान (Ganesh Chaturthi rituals for wealth):
- संकेत और संकल्प: पूजा आरंभ करने से पहले, हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर अपनी इच्छा या ‘संकल्प’ व्यक्त करें, कि आप किस मनोकामना के लिए पूजा कर रहे हैं।
- लाल रंग का प्रयोग: भगवान गणेश को लाल रंग प्रिय है। लाल वस्त्र, लाल फूल (जैसे गुड़हल) और लाल चंदन का प्रयोग करें। पूजा के आसन के नीचे एक लाल कपड़ा बिछाएं।
- गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ: गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह विघ्नों को दूर कर धन, वैभव और ज्ञान प्रदान करता है।
- श्री गणेश स्तोत्र का पाठ: प्रतिदिन श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- पीपल के पत्ते पर घी का दीपक: गणेश चतुर्थी के दिन शाम को एक पीपल के पत्ते पर घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश को अर्पित करें और अपनी आर्थिक उन्नति की प्रार्थना करें।
- दूर्वा के साथ हल्दी की गांठ: 21 दूर्वा के साथ 5 हल्दी की गांठें अर्पित करने से धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं और घर में बरकत आती है।
- मोदक का विशेष भोग: मोदक भगवान गणेश का प्रिय भोग है। शुद्ध घी और गुड़ से बने मोदक का भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं।
- विशेष गणेश भजन: “घर में पधारो गजानन जी” के अलावा, “सुखकर्ता दुखहर्ता” (मराठी आरती), “जय गणेश देवा” आरती, “गणपति अथर्वशीर्ष” और “गणेश चालीसा” का नित्य पाठ और श्रवण करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
इन सरल अनुष्ठानों और भक्तिपूर्ण पूजा के माध्यम से आप भगवान गणेश के दिव्य आशीर्वाद को अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं और गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर अपने घर को सुख, समृद्धि और आनंद से भर सकते हैं।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी का पर्व हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर दें। ‘घर में पधारो गजानन जी’ यह भजन सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि हमारे हृदय की वह अनमोल भावना है, जो भगवान गणेश को अपने परिवार का अभिन्न अंग बनाने का निमंत्रण देती है। जब हम सच्चे मन से विघ्नहर्ता को अपने घर में बुलाते हैं, तो वे न केवल हमारे सभी दुखों और बाधाओं को दूर करते हैं, बल्कि हमें बुद्धि, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद भी देते हैं।
आइए, इस गणेश चतुर्थी पर हम सब पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ भगवान गणेश का स्वागत करें। उनकी कथा को स्मरण करें, उनके महत्व को समझें और सरल विधि से उनकी पूजा कर अपने जीवन को सफल बनाएं। मोदक के भोग और दूर्वा के अर्पण के साथ, उनके मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती गाकर अपने घर के वातावरण को भक्तिमय करें। गणेश जी की कृपा से आपके घर में सुख-समृद्धि का वास हो, ज्ञान का प्रकाश फैले और हर कार्य में सफलता मिले।
“गणपति बाप्पा मोरया! मंगलमूर्ति मोरया!”

